Tuesday, 12 December 2017

आजाद कैदी




મેં થોડુ લખવાની કોશિશ કરી છે,
મારા વિચારોને કાગળ પર બાંધવાની સાઝિશ કરી છે,
મેં લખ્યું છે એ સમાજ વિશે જેણે
હસતી આંખો પર રિવાજો ની બંદિશ કરી છે.

                         आजाद कैदी
मेरी नजरो में हिंदुस्तान की हर औरत गुलाम है.

गुलाम है, कही ना कही अपने मझहब की,
कही मझहबी रीत-ओ-रिवाझ की

गुलाम है अपने उस समाज की
जिसके वजूद का कोइ अता पता नही
कत्ल करता रहा है, इन्सानो के जझबातों का
फिर मझहब की आड में आकर कहेता है
इसमें मेरी कोइ खता ही नही.

गुलाम है कही ना कही अपनो की,
तो कही अपने आप की,
यहीं दास्तान है यहा हर औरत के जझबात की.

जब भी कोइ लडकी को आजाद खयालो का गहेना पहेने हुए पाता हुं,
थोडी कश्मकश सी होती, तो थोडा सहेम सा जाता हुं
थोडी सी उलजने और बहोत सारी हमदर्दी लेकर,
अपने आप से एक ही सवाल पूछता जाता हुं

क्यां ये मासूम सी मुसकान,
आंखो से छलकता वो आजाद होने का खुमार
हदो को पार कर कुछ कर दिखाने की ख्वाहिशे बेशुमार,
क्यां ये सब खयालात जिंदा रहेंगे,
पिया के घर जाने के बाद
क्या ये खुमारी का आफताब निकल पाएगा,
एक बार ढल जाने के बाद
या फिर ये हौसला महज एक बर्फ का बना महल है,
जो पिघल जाएगा, रिवाजो के पानी में फिसल जाने के बाद.

शायद यहां लडकी के जझबातों का कोइ मायना नही.
ना कोइ सुनने वाला है इनकी दास्तान को,
ना इनके दर्द को समजने वाला कोइ,
जो इनके हौसलो को बढावा दे,
जो इनके अरमानो को सवांर दे एसा कोइ आइना ही नही.

यहां तो बस सदियों से जारी हुआ एक फरमान है,
ना चाहते हुए भी,
बेटी तो बस दो दिन की महेमान है.

पसंद नापसंद देखी नही जाती यहां पर.
अठ्ठराह की हो गइ तो राह देखी नही जाती जहां पर.

किस्मत तय है के पिया के घर जाना है,
अपने अरमानो को अग्नि के कूंड में ही जलाना है,
अब में क्यां चाहती हुं देखा नही जाएगा,
अब तो बस शोहर के अरमानो को ही सजाना है,
वो जो भी बोले वो कर दिखाना है,
जहां बचपन की कुछ यादे सजाइ थी
वो जगह को छोड,
यही जीना, यही मर जाना है.

ये कोइ ऐतराझ नही है मेरा इस समाज से,
बस कुछ शिकायते है, इस रिवाझ से
कुछ इनायते है अपने आप से
रिवाझो के कफन में लिपटी, मेरी कुछ हसरते है,
जो कभी पूरी ना हूइ, वो कुछ इबादते है,
मेरे मन ही मन में खो चुकी, कुछ शरारते है,
लोगो की नजरो के सामने होकर भी,
दिखाइ ना देने वाली कुछ हकिकते है.......
Here, I have tried to put my thoughts in such poetic lines.
these lines expressed the situation of women in India, who are seem free but somehow, somewhere confined in the rituals.

9 comments:

  1. Replies
    1. No, it can be found in many countries. but, the situation in India is worst than the others.
      As we know that movies and literature is the mirror of our society, we can compare the movies of Bollywood and Hollywood and find that Europien contries' women have more liberty than India and some Asian and African contries.

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  2. The word भारत is good than हिन्दुस्तान in very first line

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  3. Very well written Ramiz... Keep writing 👍

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  4. Wow.... Super and thank you so much

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